मध्यप्रदेश में गुड गवर्नेंस का नया अध्याय लिखा जा रहा है, और इस बार कलम नहीं, ट्रांसफर ऑर्डर चल रहे हैं। खबर है कि जो कलेक्टर पिछले दो सालों से एक ही जिले में जम गए थे जैसे पुरानी अलमारी में पड़ी फाइलें – उन्हें अब उठाकर नई जगह भेजा जाएगा। सरकार मानती है कि लंबे समय तक एक ही पोस्ट पर रहने से अफसर ज़्यादा ‘लोकल’ हो जाते हैं और ‘गवर्नेंस’ कम रह जाती है।
केवल कलेक्टर ही नहीं, IPS अफसरों की भी गिनती शुरू हो चुकी है। जिन अफसरों की उपलब्धियों में सबसे ऊपर ‘इंस्टाग्राम रील्स’ और ‘गणतंत्र दिवस पर अच्छी वर्दी’ है, उन्हें अब ग्राउंड पर परफॉर्मेंस दिखाना होगा। मुख्यमंत्री जी ने सीधी चेतावनी दी है — “जो नहीं सुधरेगा, वो फील्ड से फाइल में भेजा जाएगा!”
अब मंत्रालय में अफसरों में खलबली मची है। कुछ लोग ट्रांसफर बचाने के लिए पुराने भाषणों की क्लिप भेज रहे हैं, तो कुछ स्थानीय नेताओं के पैर पकड़ रहे हैं। बताया जा रहा है कि कई अफसरों ने तो अपने-अपने ‘वास्तु अनुकूल’ केबिन खाली करने शुरू कर दिए हैं। उधर, ट्रांसफर पंडितों की भी मांग अचानक बढ़ गई है!
पर काम पूरा है, जल्द ही ऑर्डर सोते हुए अफसरों के तकियों पर जा गिरेंगे। फील्ड का लंबा अनुभव प्राप्त कर चुके अधिकारी कुछ दिनों बाद मंत्रालय में नजर आएंगे।












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